रसूल और मुहम्मद का इस्लाम
Hindu Dharm Aur Islaam
मुहम्मद साहब खुद हिंदु थे,उनका पूरा खान्दान भी हिंदु था इसलिए उन्होंने जब अपना नया मुसलमान धर्म बनाया तो अपने सारे नियम कानून हिंदु धर्म के विपरीत कर दिया उन्होंने,भले ही वो मानवता के अहित में ही क्यों ना हो.कुछ तो उन्होंने किया और कुछ तो अपने आप हो गए.कुछ नियम तो काफी हास्यास्पद भी हैं लेकिन उन पर ईस्लाम को हिंदु से श्रेष्ठ साबित करने का इतना जुनून सवार था कि सारी सीमाएँ ही तोड़ते चले गए वो..इसलिए सिर्फ मर्यादाओं को तोड़ना ही इस्लाम धर्म का उद्देश्य बनकर रह गया.नियम को उल्टा करने का एक प्रमुख कारण उनका डर भी था.चूँकि वो जन्मजात हिंदु थे इसलिए अपने आप को हिंदु से अलग साबित करने के लिए पूर नियम ही उल्टा कर दिया
अब कुछ बिन्दुओं पर दृष्टिपाद करिए और अंदाज लगाईए कि कितने विपरीत है दोनों धर्म.
1. पुराण और कुराण : सबसे पहले धर्म ग्रंथों के नाम ही बिल्कुल उल्टे हैं और यहीं से सब कुछ उल्टा होना शुरु हुआ..अब स्पष्ट है कि अच्छा का उल्टा करना हो तो बुरा ही करना पड़ेगा कुछ और तो कर नहीं सकते.इस कारण जो थोड़ी बहुत बुराईयाँ थीं हिंदु धर्म में वो तो अच्छाई बनकर इनके धर्म में आ गई पर हिंदु धर्म अच्छाईयों से भरी पड़ी थीं इसलिए उसको उल्टा करने के चक्कर में बुराईयों से भर लिया इन्होंने अपने धर्म ग्रंथों को..ध्यान दीजिए कि "कु" उपसर्ग हमेशा किसी धातु को बुरा बनाने के लिए लगया जाता है जैसे रुप का कुरुप,कुकर्म,समय का कुसमय,इसी प्रकार कुलंगार,कुलच्छिणी,कुसंगत आदि.
2. विचार तो उल्टे हैं ही इनके सारे रीतिरिवाज और क्रिया कलाप भी उल्टे
हिंदु लोग अपने बच्चे का जन्म के ३ साल पश्चात मुण्डन संस्कार करवाते हैं जिसमें सर के अशुद्ध बाल को छीलकर उसे साफ कर देते हैं लेकिन ये अपने तीन साल के बच्चे का लिंग छीलकर छिलन संस्कार करते हैं जिसमें स्वच्छ त्वचा को हटा दिया जाता है जो बच्चे के कोमल लिंग की रक्षा करने के लिए होता है वहाँ पर,और लिंग को खुला छोड़ दिया जाता है गंदा होते रहने के लिए.यहीं से मुस्लिम बच्चों के अंदर मार काट और कुंठा की भावना का जन्म होता है..ये बात इतनी छोटी नहीं है जितने प्रतीत होती है.ध्यान देने वाली बात ये है कि हिंदुओं का ध्यान शरीर के मस्तिष्क यानि सबसे उपरी भाग पर केंद्रित होता है जिसके कारण वो उन्नति के मार्ग पर अग्रसर रहते हैं जबकि मुस्लिमों का ध्यान शरीर के सबसे निचले भाग लिंग पर केंद्रित होती है जिस कारण ये अवनति के पथ पर अग्रसर रहते हैं..हिंदु अपने मन को शुद्ध पवित्र कर अपने ध्यान को एक बिंदु पर केंद्रित करने लायक बनाते हैं ताकि वो आत्म साक्षात्कार कर सके पर मुसलमान अपना सारा ध्यान संभोग पर ही केंद्रित रखते हैं और सारा जीवन संभोग करते करते और बच्चे पैदा करते करते ही बिता देते हैं..सुना है इनके पैगम्बर साहब भी संभोग करते करते ही मर गए थे..और इन्हें जिस स्वर्ग का लालच देकर आत्म घाती बम तक बनने के लिए मजबूर कर दिया जाता है उस स्वर्ग में भी इन्हें संभोग और मांस भक्षण का ही लालच दिया जाता है..
कितना विशाल अंतर है दोनों धर्मों में जहाँ हिंदु धर्म में शारीरिक सुख त्याज्य,घृणा और सबसे निचले स्तर का सुख है वहीं मुसलमानो के लिए यह परम और अंतिम सुख है.हिंदुओं की बातें स्वर्ग और नर्क से शुरु होती हैं पर मुस्लिमो की बातें यहीं आकर खत्म हो जाती हैं...
हिंदु अगर सूक्ष्म बातों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं तो ये स्थूल बातों पर..हिंदु अगर मानसिक और आत्मिक सुख की बात करते हैं तो ये शारीरिक सुख की...
चलिए सूक्ष्म बातें बहुत हो गई अब कुछ स्थूल बातें करते हैं......
3.हिंदु मर्द मूँछों को अपनी शान समझते हैं इसलिए उसे बढ़ाते हैं तथा दाढ़ी को साफ कर देते हैं परंतु मुसलमान मूँछों को ही साफ कर देते हैं तथा दाढ़ी को शान समझकर रख लेते हैं ..यहाँ भी मैं यही कहूँगा कि इन्होंने निचले भाग को प्राथमिकता दी..
4.हिंदु गौ पूजा करते हैं पर ये गायों को हत्या करते हैं वो भी बकरीद के दिन..क्योंकि बकरीद अर्थात बकर+ईद.अरबी में गाय को बकर कहा जाता है और ईद का अर्थ पूजा होता है.ईद संस्कृत शब्द ईड से बना है जिसका अर्थ पूजा होता है..अब बताइए जिस दिन इन्हें गाय की सेवा करके पुण्य प्राप्त करना चाहिए उस दिन ये गाय की हत्या करते हैं..
5.हिंदुओं के लिए स्वच्छता का अर्थ जहाँ पूरे शरीर की शुद्धि के साथ साथ मन की शुद्धि होती है वहीं इनके लिए शुद्धता का अर्थ सिर्फ लिंग को पेशाब करने के बाद मिट्टी के ढेले या ईंट के टुकड़े से घिस लेने भर से है और ध्यान देने वाली बात ये है कि ये मिट्टी के ढेले या ईंट के टुकड़े बहुत ही गंदे होते हैं
क्योंकि ये पेशाब करने के जगह के आस पास से ही उठाए जाते हैं...जैसा कि मैं पहले ही कह चुका हूँ कि इनका पूरा ध्यान जीवन भर सिर्फ लिंग पर ही केंद्रित होता है इस बात का ये बहुत ही हास्यास्पद और दुःखद उदाहरण है कि इनकी नजर में हिंदु नापाक और मुसलमान पाक होते हैं सिर्फ इसलिए कि मुसलमान पेशाब के बाद लिंग को मिट्टी से घिस लेते हैं और हिंदु नहीं घिसते इसलिए..बाँकी ये पखाने के बाद अपने गुदा को ना भी धोयें तो कोई बात नहीं,गुदा अगर धो भी लिया है तो हाथ को मिट्टी या साबुन से नहीं भी धोयें तो कोई बात नहीं,सप्ताह भर ना भी नहायें तो कोई बात नहीं।ये पाक हैं क्योंकि अपने लिंग को मिट्टी से घिसते हैं पर हिंदु बाँकी कोई भी स्वच्छता अपना ले वह नापाक है सिर्फ इसलिए कि उसने पेशाब के बाद अपना लिंग नहीं घिसा...कितनी मूर्खताभरी बातें हैं ये..
एक और बातें मुझे एक व्यक्ति ने बताई थी जो भौतिकी के बहुत ही विद्वान शिक्षक तो थे ही एक बहुत ही अच्छे तथा समझदार इंसान थे..वो वजू के बारे में बता रहे थे कि शुद्ध होने के लिए ठेहुने से नीचे पैर को धोना चाहिए,केहुनी से नीचे के हाथ वाले भाग को और गर्दन से उपर वाले भाग को.बस हो गए तैयार नवाज पढ़ने के लिए..यहाँ तक तो ठीक है लेकिन इसके बाद जो उन्होंने कहा उस बात पर मैं अपने आपको हँसने से नहीं रोक सका..आगे उन्होंने कहा कि अगर अपानवायु छूट जाय तो वजू टूट जाता है और उसके बाद फिर से ये उपर बताई गई विधि अपनानी होगी..अब बताईए हवा अगर कमर के नीचे से निकले तो उससे ठेहुना के नीचे पैर वाला हिस्सा और केहुनी के नीचे का हाथ वाला हिस्सा धोने का क्या तुक बनता है.....
अफसोस कि ऐसी बेतुकी बातें ईश्वरीय वाणी कहलाती हैं..
6.मुसलमान धर्म अज्यानता के आधार पर ही टिका हुआ है जबकि जबकि हिंदु धर्म का अधार सिर्फ ज्यान है..एक उल्लेखनीय बात ये है कि मुसलमान लोग इसलिए कुरान और पैगम्बर पर इतनी श्रद्धा रखते हैं क्योंकि वे अज्यान हैं उन इतिहास से जो इस्लाम के शुरुआत से ठीक पहले का है यनि मुहम्मद के पहले का इतिहास..अगर सच्चा इतिहास पता चल जाय इन्हें तो नफरत हो जाएगी मुहम्मद से....ये क्या कल्पना कर लिया मैंने.! अब तक तो मुहम्मद ने सारे मुसलमानों का इस तरह ब्रेन वाश कर दिया है कि खुद खुदा भी पृथ्वी पर आकर कहे कि मुहम्मद मेरा भेजा हुआ पैगम्बर नहीं था तो ये उस खुदा को ही मा बहन करना शुरु कर देंगे..अब तो शायद खुदा को भी हिम्मत नहीं होती होगी इन्हें सही रास्ते पर लाने की..
7. योग और वियोग..हिंदु का ध्यान योग पर केंद्रित होता है यानि जोड़ने में जबकि इनका ध्यान तोड़ने में केंद्रित होता है..हिंदु भगवान की पूजा करने के समय अपने दोनों हाथों को जोड़ लेते हैं जबकि ये दोनों हाथों को फैला लेते हैं..यहाँ भी लालच..भगवान के पास सिर्फ माँगने के लिए ही जाते हैं..
8 हिंदु त्याग और तपस्या की बातें करते हैं तो मुसलमान लूटने हथियाने की और मजे लूटने की..हिंदु नारियों की हमेशा इज्जत करते हैं और युद्ध में भी ये उन्हें अलग ही रखते हैं जबकि युद्ध में इनका मुख्य हमला स्त्रियों पर ही होता है और उनका इज्जत लूटना इन्हें स्वर्ग का मार्ग ले जाने वाला बतलाया गया है.
9.हिंदु के अनुसार सभी जीवों{मानव तथा जंतु} में परमात्मा का अंश होता है अतः सबसे प्यार करना चाहिए पर इनके अनुसार गैर मुसलमान बस मारने काटने और सताने के भागी हैं..
10. हिंदु के अनुसार सभी बुरे कर्मों का फल भोगना होगा पर बाईबिल और कुरान के अनुसार जो इन दोनों ग्रंथों पर विश्वास करेगा बस वही स्वर्ग का राही है जिसने अविश्वास किया वो नर्क का..इन धर्मों में आ जाने से सब पापों से मुक्ति..यनि करना धरना कुछ नहीं बस इन पुस्तकों को ईश्वरीय पुस्तक मान लो और प्राप्त कर लो कुकर्म करने का लाइसेंस...
एक तरफ ये भगवान को सर्वशक्तिमान तो मानते हैं लेकिन ये भी मानते हैं कि भगवान को साकार रुप धारण करने की शक्ति नहीं है यनि जो हमेशा अदृश्य रहे वही सर्व शक्तिमान ईश्वर हो सकते हैं अगर उन्होंने साकार रुप धर लिया तो वे भगवान हो ही नहीं सकते...एक और बड़ा अंतर....
11. हिंदुओं के भगवान खुद मानवों के बीच आते हैं अवतार लेकर ताकि मानवों को जीने का सही मार्ग सीखा सकें उनके सामने एक आदर्श रख सकें तथा मानवों का भगवान पर श्रद्धा विश्वास और प्रेम बढ़ सके पर इनके अल्लाह को खुद इनके बीच आने की हिम्मत नहीं है इसलिए एक दलाल को भेज देते हैं..या तो इनके अल्लाह बहुत डरपोक हैं या फिर इनसे प्रेम करते ही नहीं...
12. हिंदुओं के अनुसार स्वर्ग नरक को भोग लेने के बाद फिर इस संसार में आना ही होगा जबतक कि आत्म ज्ञान प्राप्त नहीं हो जाता लेकिन इनके अनुसार अगर एक बार स्वर्ग पहुँच गए(चाहे आत्म घाती हमलावर बनकर सैकड़ों लोगों की जान लेकर ही सही)) तो बस सारी चिंता खत्म,अनन्त काल के लिए सुख भोगते रहो और अगर ना पहुँच सके तो नर्क में जाकर अनन्त काल के लिए दुःख भोगते रहो...
अब यहाँ थोड़ी देर रुक कर विचार करिए कि इस तरह अनन्त काल तक का स्वर्ग नरक वाला सिद्धान्त जो इतना डरावना है तो क्यों ना स्वर्ग जाने के लिए लोग कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाएँगे और उसपर भी स्वर्ग जाने के लिए काम तो दे,
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