Ad Code

Ticker

6/recent/ticker-posts

ग्रहों के अनुसार गोचर फल - कुंडली में त्रिकोण - केंद्र के स्वामी kundali bhagy (०१)

 सभी ग्रहों का गोचर अनुसार फल graho ke gochar fal,


सूर्य  -सूर्य जन्मकालीन राशि से 3,6,10 और 11 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में सूर्य का फल अशुभ देता है।

 

सभी-ग्रहों-का-गोचर-अनुसार-फल-graho-ke-gochar-fal

चंद्र- -️चंद्र जन्मकालीन राशि से 1, 3, 6, 7, 10 व 11 भाव में शुभ तथा 4,8, 12 वें भाव में अशुभ फल देता है।

 

मंगल. -मंगल जन्मकालीन राशि से 3 ,6,11 भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।

 

बुध   -बुध जन्मकालीन राशि से 2,4,6,8,10 और 11 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।

 

गुरु- गुरु जन्मकालीन राशि से 2,5,7,9 और 11 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।

 

शुक्र -शुक्र जन्मकालीन राशि से 1,2,3, 4,5, 8,9,11 और 12 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।

 

शनि -शनि जन्मकालीन राशि से 3,6,11 भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।

 

राहु  -राहु जन्मकालीन राशि से 3 ,6,11 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।

 

केतु -केतु जन्मकालीन राशि से 1,2,3,4,5,7,9 और 11 वें भाव में शुभ फल देता है। शेष भावों में अशुभ फल देता है।


1. कुंडली में त्रिकोण के (5-9) के स्वामी सदा शुभ फल देते हैं।


2. केंद्र के स्वामी (1-4-7-10) यदि शुभ ग्रह हों तो शुभ फल नहीं देते, अशुभ ग्रह शुभ हो जाते हैं।


3. 3-6-11 भावों के स्वामी पाप ग्रह हों तो वृद्धि करेगा, शुभ ग्रह हो तो नुकसान करेगा।


4. छठे स्थान का गुरु, आठवां शनि व दसवां मंगल बहुत शुभ होता है।


5. केंद्र में शनि (विशेषकर सप्तम में) अशुभ होता है। अन्य भावों में शुभ फल देता है।


6. दूसरे, पांचवें व सातवें स्थान में अकेला गुरु हानि करता है।


7. ग्यारहवें स्थान में सभी ग्रह शुभ होते हैं। केतु विशेष फलदायक होता है।


8. जिस ग्रह पर शुभ ग्रहों की दृष्टि होती है, वह शुभ फल देने लगता है।

Post a Comment

0 Comments