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Ling Puran लिंग पुराण मिट्टी से लेकर रत्न तक बनने वाले शिवालय का वर्णन - किन किन धातु सामग्री से शिव लिंग मूर्ति बनाए

Ling Puran श्री लिंग पुराण मिट्टी से लेकर रत्न तक बनने वाले शिवालय का वर्णन - किन किन धातु सामग्री से शिव लिंग मूर्ति बनाए।



Ling Puran ऋषि बोले लिंग प्रतिष्ठा का पुण्य लिंग की स्थापना के भेद हमने सुने। 

हे सूतजी अब मिट्टी से लेकर रत्न तक के शिवालयों के बनाने का फल हमसे कहिये। 

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सूतजी बोले - शिवजी का ईंट और लोहे आदि से मन्दिर बनाकर भक्त रुद्रलोक को जाते हैं जहाँ उनकी इन्द्रादिक भी वन्दना करते हैं।  मिट्टी व बालू से बनाकर भी रुद्र को प्राप्त होते हैं। इसलिये भक्त को सर्व प्रकार से शिवालय बनाने चाहिए। कैलाश नाम वाले मन्दिर को बनाकर कैलाश की सी शिखर वाले विमानों पर बैठकर भक्तजन महान आनन्द को प्राप्त करते हैं। जो भक्त मन्दिर नाम से शिवालय का निर्माण करते हैं वे मदराचल के समान विमानों में बैठते हैं और देवता अप्सराओं के द्वारा पूजित होकर शिव लोक में सुख भोगते हैं तथा गाणपत्य रूप को प्राप्त होते हैं।  हे विप्र सुवर्ण की शिलाओं से शिवालय बनता है वह रुद्र लोक में रुद्रों के साथ आनन्द को प्राप्त होता है। जीर्ण पतित और खण्डित मन्दिर का उद्धार करने वाला बनाने वाले से भी अधिक पुण्य को प्राप्त करता है। इससे हे ब्राह्मणो भक्ति पूर्वक काष्ठ ईंट मिट्टी आदि से भी शिव का मन्दिर बनाता है वह शिव लोक को जाता है। 




Ling Puran किन किन धातु सामग्री से शिव लिंग मूर्ति बनाए।


जो मन्दिर बनाने में असमर्थ हों वह शिव मन्दिर की झाडबुहारी पोतनालीपना आदि कर स्वच्छ करने से उत्तम फल को पाता है। शिव नेत्र से आधे कोस की दूरी पर भी जो मनुष्य प्राणों का त्याग करता है वह हजारों चान्द्रायण व्रतों के फल को प्राप्त करता है। जो श्री पर्वत पर प्राणों को त्यागता है वह शिव सायुज्य को प्राप्त होता है। जोजो पुरुष वाराणसी में केदार में प्रयाग में कुरुक्षेत्र में प्राणों को त्यागता है वह मुक्ति को पाता है। प्रभास में पुष्कर में उज्जैन में अमरेश्वर में मरकर प्राणी शिव को प्राप्त होता है। शिव क्षेत्र का दर्शन ही पुण्य देने वाला होता है। उससे सौ गुना स्पर्शन से फल होता है। जल से सौ गुना दूध का स्थान दूध से हजार गुना दही का दही से शत गुना मधु का तथा मधु से घी का स्नान शिवलिंगों को कराना तो अनन्त गुना है। बावड़ी कूप तालाब जो तीर्थ कहलाते हैं उनमें स्नान करने वाला पुरुष ब्रह्म हत्या आदि से छूट जाता है। 




Ling Puran शिवलिंग का दर्शन,


प्रातःकाल जो पुरुष शिवलिंग का दर्शन करता है वह उत्तम गति को प्राप्त करता है। मध्याह्न में दर्शन करने वाला उत्तम यज्ञों का फल पाता है तथा शाम के समय दर्शन भी उत्तम यज्ञों का फल प्रदान करने वाला है।इस प्रकार आदि देव महादेव उत्पत्ति प्रलय और संहार करने वाले हैं। सब सृष्टि की रचना शिवाशिव ही करते हैं । मोक्ष के साधन शिव ही हैं। शिव ही व्यक्त और अव्यक्त हैं। ऐसे नित्य स्वरूप अचिंत्य प्रभु का अर्चन करना चाहिए।

जय श्री कृष्णा

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