Dhanvan banne ke liye 10 उपाय से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करे - Kartik Maah dhanwan banne ke upay
आज से कार्तिक माह शुरु हो रहा हैं। हिंदू कैंलेडर में कार्तिक माह को आठवां महीना माना गया है। हिंदू धर्म में कार्तिक माह का विशेष धार्मिक महत्व है। कहा जाता हैं कि कार्तिक मास के समान अन्य कोई मास नहीं है।
जिस तरह से वेद के समान कोई शास्त्र, गंगा के समान कोई तीर्थ और सतयुग के समान कोई युग नहीं है। कार्तिक मास को सबुद्धि, लक्ष्मी और मोक्ष प्राप्त कराने वाला महीना माना जाता है। इस माह में तुलसी पूजन के साथ-साथ मां लक्ष्मी के पूजन की भी मान्यता है। इसके अलावा, स्नान की भी अधिक मान्यता हैं। आपको बता दें कि कार्तिक माह 19 नवंबर को समाप्त होगा।
Dhanvan banne ke liye 10 कार्तिक माह में ये काम जरुर करें।
नदी स्नान- इस मास में श्री हरि जल में ही निवास करते हैं। अत: इस माह में पवित्र नदी में स्नान करने बहुत ज्यादा महत्व है। मदनपारिजात के अनुसार कार्तिक मास में इंद्रियों पर संयम रखकर चांद-तारों की मौजूदगी में सूर्योदय से पूर्व ही पुण्य प्राप्ति के लिए स्नान नित्य करना चाहिए।
दान- इस माह में दान का भी बहुत ही ज्यदा महत्व होता है। अपनी क्षमता अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान और अन्य जो भी दान कर सकते हो वह करें।
दीपदान- इस माह में दीपदान का बहुत ही महत्व है। नदी, तालाब आदि जगहों पर दीपदान करने से सभी तरह के संकट समाप्त होते हैं और जातक कर्ज से भी मुक्ति पा जाता है।
पूजा- इस माह में तीर्थ पूजा, गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा और यज्ञ एवं हवन का भी बहुत ही महत्व है। इस दिन चंद्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छह कृतिकाओं का अवश्य पूजन करना चाहिए।
तुलसी पूजा- इस माह में तुलसी की पूजा, सेवन और सेवा करने का बहुत ही ज्यादा महत्व है। इस कार्तिक माह में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।
व्रत- इस दिन उपवास करके भगवान का स्मरण, चिंतन करने से अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है तथा सूर्यलोक की प्राप्ति होती है। कार्तिकी पूर्णिमा से प्रारम्भ करके प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।
भूमि पर शयन- इस माह में भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव निर्मित होकर सभी तरह के रोग और विकारों का समाधान होता है।
दलहन खाना मना है- कार्तिक महीने में उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राईं आदि नहीं खाना चाहिए। लहसुन, प्याज और मांसाहर का सेवन न करें।
तेल लगाना मना है- इस माह में नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) को छोड़कर अन्य दिनों में तेल लगाना वर्जित माना गया है।
इंद्रिय संयम- कार्तिक मास में इंद्रिय संयम में खासकर ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है। इसका पालन नहीं करने पर अशुभ फल की प्राप्ति होती है। इंद्रिय संयम में अन्य बातें जैसे कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें, खाने के प्रति आसक्ति न रखें, न अधिक सोएं और न जागें आदि
0 Comments