सही उँगली में रत्न धारण
ग्रहों के लिए उँगली में रत्न धारण grah ratan dharan
ग्रहों के लिए निर्धारित उँगलियों में ही रत्न धारण करना
चाहिए तभी प्रभावशाली होता है :
माणिक अनामिका में,
मूँगा तर्जनी-अनामिका में,
मोती तर्जनी- अनामिका,
पन्ना-कनिष्ठा में,
पुखराज-तर्जनी में,
हीरा / ओपल - तर्जनी- मध्यमा में,
नीलम, गोमेद व लसुनिया मध्यमा में धारण करना चाहिए।
तर्जनी गुरु की, मध्यमा शनि
की, अनामिका सूर्य की तथा कनिष्ठा बुध
की उँगलियाँ मानी गई हैं।
रत्न धारण का प्रभाव तभी होता है, जब 'कौन-सा
रत्न धारण करना' का सही निर्णय आवश्यक है।
रत्न निर्दोष होना चाहिए। सही वजन का होना
चाहिए। सही धातु में अँगूठी बनवाकर शुभ
मुहूर्त में सही उँगली में निषेध रत्नों के
साथ न पहनने से ही लाभकारी होता है।
माणिक अनामिका में :
माणिक अनामिका में पहना जाता है, यह सूर्य का रत्न है। बर्मा का
माणिक अधिक महँगा होता है, वैसे आजकल कई
नकली माणिक भी बर्मा का कहकर बेच
देते हैं। बर्मा का माणिक अनार के दाने के समान होता है। इसके
पहनने से प्रशासनिक, प्रभाव में वृद्धि व शत्रुओं को परास्त करने
में भी सक्षम है। इसे भी नेता
राजनीति से संबंध रखने वाले, उच्च
पदाधिकारी, न्यायाधीश, कलेक्टर आदि
की उँगली में देखा जा सकता हैं।
कनिष्का उँगली में पन्ना
कनिष्का उँगली में पन्ना पहना जाता है। यह बौधिक
गुणों को बढ़ाता है, जिसे बिजनेसमैन ज्यादा पहनते हैं। इसको
पहनने से पत्रकारिता, सेल्समैन, प्रकाशन, दिमागी
कार्य करने वाले, कलाकार, वाकपटु व्यक्ति भी पहनते
हैं।
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