_🍃न कन्यायाः पिता विद्वान् रहीयाच्छुल्कमणवपि।_
_यहहुरकं हि लोसेन स्थानरोऽपत्यविक्रयी॥५१॥_
_🍃स्त्रीधलानि तु ये सोहादुपजीवन्ति वान्धवाः।_
_नारीयानानि वस्त्रं वा ते पापा यान्त्यधोगतिम् ॥५२॥_
⚜️विद्वान् पिता, कन्यादान में, कुछ भी उसके बदले में मूल्य न ले, यदि लोभ से कुछ ले लेता है तो वह सन्तान बेचनेवाला है। कन्या का धन वाहन, वस्त्र आदि जो पिता, भाई आदि अपने भोग में लाते हैं वे नरक में पड़ते हैं।
क्रमशः
_⚜️अहिंसा परमोधर्मः धर्म हिंसा तथैव च⚜️_
जय श्री राम
चलते रहिये🏃♂🏃♂🏃♂।,नमस्कार...✍”॥
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