श्री राधे राधे जी
Ram Ram ji,(((( प्रभु मुद्रिका मेल मुख माही ))))
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हनुमान जी को भगवान् सदा अपने पास बैठाते है, क्यों ? क्यों कि हनुमान जी ने तीन काम किये और जो ये तीन कार्य करता है भगवान् उसे अपने पास सदा रखते है !
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हनुमान जी ने अपना कोई नाम नहीं रखा ! हनुमान जी के जितने भी नाम है सभी उनके कार्यों से अलग अलग नाम हुए है !
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किसी ने पूछा -आपने अपना कोई नाम क्यों नहीं रखा तो हनुमान जी बोले -जो है नाम वाला वही तो बदनाम है नाम तो दो ही सुन्दर है राम और कृष्ण का !
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विभीषण जी के पास जब हनुमान जी गए तो विभीषण जी बोले – आपने भगवान् की इतनी सुन्दर कथा सुनाई आप अपना नाम तो बताईये ! हनुमान जी बोले -नाम की तो बड़ी महिमा है।
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प्रात लेई जो नाम हमारा ;
तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा !
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अर्थात प्रात:काल हमारा नाम जो लेता है उस दिन उसे आहार तक नहीं मिलता !
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हनुमान जी ने नाम छोड़ा और हम नाम के पीछे ही मरे जाते है ! मंदिर में एक पत्थर भी लगवाते है तो पहले अपना नाम उस पर खुदवाते है !
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एक व्यक्ति ने एक मंदिर में पंखे लगवाए, पंखे की हर पंखङी पर अपने पिता जी का नाम लिखवाया !
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एक संत ने पूछा -ये पंखे पर किसका नाम लिखा है ! उसके बेटे ने कहा -मेरे पिता जी का नाम है !
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संत बोले -जीते जी खूब चक्कर काटे कम से कम मरने के बाद तो छोड़ दो क्यों चक्कर लगवा रहे हो !
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हनुमान जी बंदर का रूप लेकर आये ! हमें किसी का मजाक उड़ाना होता है तो हम कहते है कैसा बंदर जैसा मुख है कैसे बंदर जैसे दाँत दिखा रहा है !
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हनुमान जी से किसी ने पूछा -आप रूप बिगाड़कर क्यों आये तो हनुमान जी बोले यदि मै रूपवान हो गया तो भगवान् पीछे रह जायेगे !
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इस पर भगवान् बोले -चिंता मत करो हनुमान मेरे नाम से ज्यादा तुम्हारा नाम होगा और ऐसा हुआ भी राम जी के मंदिर से ज्यादा हनुमान जी के मंदिर है !
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मेरे दरबार में पहले तुम्हारा दर्शन होगा ( राम द्वारे तुम रखवाले ) !
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हम थोड़ा सा भी बड़ा और अच्छा काम करते है तो चाहते है पेपर में हमारी फोटो छपे नाम छपे पर हनुमान जी ने कितने बड़े-2 काम किये पर यश स्वयं नहीं लिया !
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एक बार भगवान वानरों के बीच में बैठे थे, सोचने लगे हनुमान तो अपने मुख से स्वयं कहेगा नहीं इसलिए हनुमान की बडाई करते हुए बोले..
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हनुमान तुमने इतना बड़ा सागर लांघा जिसे कोई नहीं लांघ सका !
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हनुमान जी बोले -प्रभु इसमें मेरी क्या बिसात
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प्रभु मुद्रिका मेल मुख माही !
आपके नाम की मुंदरी ने पार लगाया !
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भगवान् बोले -अच्छा हनुमान चलो मेरी नाम की मुंदरी ने उस पार लगाया फिर जब तुम लौटे तब तो मुंदरी जानकी को दे आये थे फिर लौटते में तो नहीं थी फिर किसने पार लगाया ?
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इस पर हनुमान जी बोले -प्रभु आपकी कृपा ने (मुंदरी) ने उस पार किया और माता सीता की कृपा ने (चूड़ामणि) इस पार किया !
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भगवान् ने मुस्कराते हुए पूछा, और लंका कैसे जली ?
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हनुमान जी, लंका को जलाया आपके प्रताप ने, लंका को जलाया रावण के पाप ने, लंका को जलाया माँ जानकी के श्राप ने !
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भगवान् ने मुस्कराते हुए घोषणा की.. हे हनुमान तुमने यश छोड़ा है इसलिए न जाने तुम्हारा यश कौन-2 गायेगा !
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सहस बदन तुम्हारो यश गावे
सारा जगत तुम्हारा यश गायेगा !
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जो इन तीनो को छोड़ता है भगवान् फिर उसे नहीं छोड़ते सदा अपने साथ रखते है !
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((((((( जय जय श्री राधे )))))))
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