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Ma Annpurna: अन्नपूर्णा मां की प्रतिमा करीब 108 साल पहले वाराणसी के एक मंदिर से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा वापस काशी प्राण-प्रतिष्ठा

108 साल पहले काशी से चोरी हुई मां अन्नपूर्णा की प्राचीन प्रतिमा गुरुवार की सुबह यूपी सरकार को हैंडओवर कर दी गई। 14 को यह प्रतिमा वाराणसी पहुंचेगी और 15 को काशी विश्वनाथ परिसर में स्थित मंदिर में स्थापित होगी। 




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इस दौरान सीएम योगी की उपस्थिति में प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होगी। दिल्ली से मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा सजे-धजे वाहन पर सवार होकर वाराणसी के लिए रवाना हो गई है। इस दौरान प्रतिमा की शोभायात्रा यूपी के 18 जिलों से गुजरेगी।

1913 में अन्नपूर्णा मां की प्रतिमा चोरी हुई थी। 2019 में कनाडा के विनिपेग में भारतीय मूल की आर्टिस्ट दिव्या मेहरा की नजर इस प्रतिमा पर पड़ी थी। इसके बाद भारत सरकार ने इसे वापस लाने की प्रक्रिया शुरू की। खुद पीएम मोदी ने अधिकारियों को इसके लिए निर्देश दिया। उनकी पहल पर तेजी से काम हुआ और प्रतिमा भारत आ गई।

केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने बृहस्पतिवार को देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति दिल्ली में एक कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी। इस मूर्ति को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) कनाडा से वापस लाया है। भारतीय आधुनिक कला संग्रहालय (एनजीएमए) में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय भवन एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह समेत अन्य ने शिरकत की। 


एसीएस होम अवनीश अवस्थी ने बताया कि हमने औपचारिक रूप से इस मूर्ति को प्राप्त कर लिया गया है। उत्तर प्रदेश में चार दिनों तक मूर्ति का भ्रमण होगा। 15 तारीख को प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में इसे काशी विश्वनाथ धाम के नए मंदिर में स्थापित किया जाएगा। मां अन्नपूर्णा की पुर्नस्थापना यात्रा दिल्ली से सबसे पहले गाजियाबाद पहुंची। यहां भाजपा नेता केके शुक्ला और महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा की अगुवाई में लोगों ने दुर्लभ मूर्ति के दर्शन किए। शहर में कई अन्य स्थानों पर लोगों ने यात्रा पर फूल वर्षा की। 



प्रतिमा आने की पीएम मोदी ने दी थी जानकारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 नवंबर 2020 को अपने मन की बात कार्यक्रम में देश के लोगों को मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा में मिलने की जानकारी दी थी। उन्होंने उस दिन कहा था कि हर एक भारतीय को यह जानकर गर्व होगा कि मां अन्नपूर्णा की सदियों पुरानी प्रतिमा कनाडा से भारत वापस लाई जा रही है। यह प्रतिमा करीब 108 साल पहले वाराणसी के एक मंदिर से चोरी हुई थी। प्रधानमंत्री पिछले साल देव दीपावली पर काशी पहुंचे थे। यहां भी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा वापस काशी लाने की बात कही थी। अब इस वर्ष देव दीपावली के पहले ही मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा काशी विश्वनाथ धाम में होने जा रही है।


18वीं सदी की है प्रतिमा

बलुआ पत्थर से बनी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा 18वीं सदी की बताई जाती है। धन-धान्य की देवी और महादेव की नगरी काशी के लोगों को कभी भूखा न सोने देने वाली इस प्रतिमा में मां अन्नपूर्णा एक हाथ में खीर का कटोरा और एक हाथ में चम्मच लिए हुए हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सदियों पहले काशी में भीषण अकाल पड़ा था। उस दौरान भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा का ध्यान करने के बाद उनसे भिक्षा मांगी थी, तब मां अन्नपूर्णा ने कहा था कि आज के बाद काशी में कोई भूखा नहीं रहेगा। 



प्रतिमा कैसे पहुंची कनाडा, बरकरार है राज

मां अन्नपूर्णा की प्राचीन प्रतिमा कनाडा कैसे पहुंची, इसे लेकर आज भी राज बरकरार है। कुछ लोगों को कहना है कि दुर्लभ और ऐतिहासिक सामग्रियों की तस्करी करने वाले प्रतिमा को कनाडा ले जाकर बेच दिए थे। धर्म-कर्म के क्षेत्र में रुचि रखने वाले काशी के बुजुर्ग विद्वानों को भी मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के गायब होने की ठोस जानकारी नहीं है।


मोदी ड्रीम प्रोजेक्ट में होना है स्थापित

काशी में पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण तेजी से चल रहा है। दिसंबर में इसके लोकार्पण की तैयारी है। उसी कॉरिडोर में यह प्रतिमा स्थापित होगी। यूपी के धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने बुधवार को कहा कि जब स्वतंत्रता आंदोलन चरम पर था तब यह प्रतिमा कनाडा पहुंच गई थी। अब यह प्रतिमा भारत वापस लाई गई है। नीलकंठ तिवारी के अनुसार देवोत्थान एकादशी यानी 15 नवंबर को नगर भ्रमण के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के ईशान कोण में रानी भवानी उत्तरी गेट के बगल में मां अन्नपूर्णा की प्राण प्रतिष्ठा होगी। सीएम योगी आदित्यनाथ खुद इस दौरान मौजूद रहेंगे। 



भारतीय मूल की आर्टिस्ट की 2019 में पड़ी थी नजर


मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना स्थित मैकेंजी आर्ट गैलरी के कलेक्शन का हिस्सा थी। इस आर्ट गैलरी को 1936 में वकील नॉर्मन मैकेंजी की वसीयत के अनुसार बनवाया गया था। 2019 में विनिपेग में रहने वाली भारतीय मूल की आर्टिस्ट दिव्या मेहरा को मैकेंजी आर्ट गैलरी में प्रदर्शनी लगाने के लिए बुलाया गया था। उन्होंने गैलरी में रखी प्राचीन मूर्तियों का अध्ययन करना शुरू किया तो उनकी नजर मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा पर पड़ी। जब उन्होंने रिकॉर्ड खंगाला तो पता लगा कि वर्ष 1913 में वाराणसी के गंगा किनारे स्थित एक मंदिर से ऐसी ही मूर्ति गायब हुई थी जिसे मैकेंजी आर्ट गैलरी ने हासिल किया था।


दिव्या मेहरा ने मैकेंजी आर्ट गैलरी के सीईओ जॉन हैम्प्टन से अन्नपूर्णा प्रतिमा के बारे में बात की। उनसे कहा कि प्रतिमा को भारत को वापस लौटाना चाहिए। मैकेंजी आर्ट गैलरी के सीईओ समेत अन्य अधिकारियों ने दिव्या मेहरा की बात मान ली। इसका पता ओटावा स्थित इंडियन हाई कमीशन को भी लगा। इसके बाद भारतीय अधिकारियों ने डिपार्टमेंट ऑफ कनेडियन हेरिटेज से संपर्क किया और अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा को भारत भेजने की बात कही। कनाडा सरकार ने सहमति दे दी और तब जाकर मां अन्नपूर्णा की प्राचीन प्रतिमा के भारत आने का रास्ता साफ हुआ। 



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