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गणेश जी ने क्यों दिया चंद्रमा को श्राप- चंद्रमा को किसने कलंक किया था- चंद्रमा को किसने कलंक कर अपने सिर पर धारण किया है (15)

 गणेश जी ने क्यों दिया चंद्रमा को श्राप, चंद्रमा को किसने कलंक किया था, चंद्रमा को किसने कलंक कर अपने सिर पर धारण किया है, 


नाटा कद, मोटा पेट, गज का सिर और मूषक को अपनी सवारी बनाने वाले गणेश जी हिंदू धर्म में विध्नहर्ता के नाम से जाने जाते हैं।

चंद्रमा को किसने कलंक किया था


कहते हैं कि एक बार कुबेर जी भगवान शिव और माता पार्वती के पास आमंत्रण लेकर कैलाश पर्वत पहुंचे। वे चाहते थे कि शिव तथा पार्वती उनके महल आकर भोजन करें। मगर शिवजी कुबेर की मंशा समझ चुके थे। वे जानते थे कि कुबेर अपनी धन सम्पति का दिखावा करने के लिए उन्हें महल में आमंत्रित कर रहे हैं। उन्होंने किसी महत्वपूर्ण कार्य में उलझे होने का कारण बताते हुए आने से मना कर दिया। ऐसे में कुबेर दुखी हो गया और शिवजी से प्रार्थना करने लगे। तब गणेशजी ने मुस्कुरा कर कहा कि अगर आपको हमारी सेवा करनी है तो हमारे पुत्र को अपने साथ ले जाओ।


विनायक जी की कहानी, तुम आज के बाद इस विशाल गगन पर राज नहीं कर पाओगे। 

मिठाइयों के शौकीन गणेश जी ने उस रात महल में भरपेट भोजन किया और खूब मिठाइयां खाईं। इतना ही नहीं जाते जाते वे ज्येष्ठ भ्राता के लिए भी मिठाइयां साथ ले गए। अब गोद में मिठाइयां रखकर वो मूषक पर सवार हो गए। रात का अंधेरा था, मगर चांद चमक रहा था। तभी मूषक ने रास्ते में एक सांप देखा और वो उछल पड़ा। अब गणेशजी अपना संतुलन खो बैठे और सारी मिठाइयां धरती पर बिखर गईं।


मिठाइयां इकट्ठा करते हुए उन्हें किसी के हंसने की आवाज़ सुनाई दी। उन्होंने आकाश की ओर देखा तो चंद्रमा हंस रहा था। वे पल भर के लिए क्रोध से भर गए और चंद्रमा को चेतावनी देते हुए बोले कि तुम मेरी मदद करने की बजाय मुझपर हंस रहे हो, मैं तुम्हें श्राप देता हूं कि तुम आज के बाद इस विशाल गगन पर राज नहीं कर पाओगे। कोई भी तुम्हारी रोशनी को आज के बाद महसूस नहीं करेगा। ये सुनते ही चंद्रमा की रोशनी समाप्त हो गई।


अब चंद्रमा गणेशजी से मांगी मांगने लगे और बोले कृप्या मुझे माफ कर दीजिए और अपना श्राप वापिस ले लीजिए। उन्होंने चंद्रमा को माफ कर दिया और बोले की अपना श्राप तो वापिस नहीं ले सकता मगर इसके असर को कम ज़रूर कर सकता हूं। उन्होंने कहा कि ऐसा अवश्य होगा कि तुम अपनी रोशनी खो दोगे, लेकिन ऐसा माह में सिर्फ एक बार होगा। इसके बाद तुम फिर से बढ़ते जाओगे और पंद्रह दिनों के अंतराल में अपने वेश में नज़र आओगे। उन्होंने एक चेतावनी भी दी कि चतुर्थी के दिन मेरा अपमान किया है इसलिए जो भी मेरा भक्त इस दिन तुम्हें देखेगा, तो उसके लिए ये अशुभ होगा।।


 🙏🌹जय श्री गणेशजी🌹🙏



































































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