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श्रवण नक्षत्र क्या है? शनि का प्रभाव और फल क्या होगा? श्रवण नक्षत्र में संचार करने वाला शनि, इस वर्ष 2021 में शनि इसी श्रवण नक्षत्र से गुजरने वाला है । (१३)

श्रवण नक्षत्र क्या है? शनि का प्रभाव और फल क्या होगा?  श्रवण नक्षत्र में संचार करने वाला शनि, इस वर्ष 2021 में शनि इसी श्रवण नक्षत्र से गुजरने वाला है । 

शनि-का-प्रभाव



 श्रवण नक्षत्र में संचार करने वाला शनि - इस वर्ष श्रवण नक्षत्र के अनुसार फल करेगा । श्रवण नक्षत्र - गरुड़ तारा-मण्डल से शक्ति ग्रहण करता है । ये तारा-मण्डल ऊर्ध्व आकाश में अनेक वाणविद्ध पंखों के समान दिखाई देता है । महाभारत में कुन्ती पात्र इसी के अनुरूप है । कर्ण का अर्थ - श्रवण यन्त्र है, इसी से वो कुन्ती-पुत्र है । गरुड़-मण्डल में - सूर्य के जागतिक संकर्षण से श्रवण नक्षत्र की उत्पत्ति हुई है । इसी से महाभारत में कुन्ती-पुत्र, कर्ण की उत्पत्ति - सूर्य के वीर्य से बताई गई है । कर्ण याँ श्रवण - महाभारत में एक महान चरित्र के रूप में वर्णित है । 

इस वर्ष 2021 में शनि इसी श्रवण नक्षत्र से गुजरने वाला है । 


शनि - शोक पैदा करने वाला, परीक्षा लेने वाला और संघर्ष उत्पन्न करने वाला ग्रह है । सूर्य से पैदा हुआ श्रवण नक्षत्र - इस वर्ष शनि की शत्रुता को झेलेगा । कुन्ती जैसे संघर्षमय जीवन को प्रकट करेगा और कर्ण जैसे महान चरित्र का अन्त मित्रता का कर्त्तव्य निभाते हुए दर्शायेगा । 2021 वर्ष बदलाव के ऐसे दौर से गुजर रहा है - जहाँ कर्तव्य निभाने वालों को बलिदान देना होगा । सम्पुर्ण वर्ष कुन्ती के संघर्ष की तरह बदलाव के दर्द को झेलेगा । जैसे महाभारत के बाद कलयुग का आरम्भ हुआ उसी तरह - 2021 के समाप्त होते-होते नये युग का आरम्भ होने लगेगा । छत्र-छाया से वंचित कर देना, कूटनीति में विशिष्टता प्रदान करना और शक्तिशाली प्रतिद्वंदी प्रकट करना - इस वर्ष शनि के फल होंगे ।

शनि और चन्द्र की युति से विषयोग का निर्माण होता है और चन्द्र औषधि कारक भी है । ये दर्शाता है कि - 2021 में कोविड-19 से सामना होगा और दवा लेते रहने होगा ।

विश्व पटल पर जो नेता विस्तारवादी और युद्ध के लिये तत्पर नज़र आ रहे थे । वे अब भितरीघात से कूटनीति का शिकार होंगे और इस तरह का एक नया रिवाज चल पड़ेगा ।

द्वितीय श्रेणी के नेता और द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों का ही ये वर्ष है । इनके अधीनस्थ काम करने वाले लोग ही इनके लिये परेशानी का कारण बनेंगे । इन्ही लोगों के टकराव से आने वाले समय के परिदृश्य का निर्माण होगा ।

नक्षत्र


इस वर्ष - गुरु बृहस्पति भी अपनी नीच-राशि मे रहेगा और पाप ग्रह - शनि से युति बनाये रखेगा । ये दर्शाता है कि - धर्म, ज्ञान, उच्चता, रचनात्मकता, सम्मिलित गोष्ठी, सम्मिलित सहमति और बड़प्पन का अभाव रहेगा ।

वातावरण अशंकाओं से भरा रहेगा । अधेड़ावस्था के लोग ज्यादा प्रभावित नज़र आयेंगे । अधेड़ महिलायें किसी विशेष बीमारी की चपेट में आ सकती है । मनो-वैज्ञानिक प्रभाव, पागलपन और हिस्टीरिया जैसे प्रभाव प्रकट होंगे ।

बदलाव का ये दौर - साधारण व्यक्ति से लेकर, विशेष व्यक्ति, उच्च अधिकारी, नेता और देशों को भी प्रभावित करेगा । दिखाई देने वाले दृश्य अलग होंगे और घटनायें अलग परिदृश्य में घटेगी । इसे समझने के लिये गूढ़ दृष्टि और गूढ़ विश्लेषण की आवश्यकता होगी । अन्यथा घटनाक्रम चकरा देने वाला होगा ।

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