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अथर्व वेद ved ke bare mein- sanatan dharm ke anusar - वेद मंत्र का संदेश है कि हम वीर पुत्रों के साथ 100 वर्ष तक आनंद भोगें।

हरि ॐ, अथर्व वेद ved ke bare mein,

अथर्व-वेद-ved-ke-bare-mein-sanatan-dharm-ke-anusar


मदेम शतहीमा: सुविरा:

             अथर्व वेद कांड २० सूक्त ६३ मंत्र ३


हे प्रभु! हम वीर पुत्रों के साथ 100 वर्षों तक सुख-आनंद भोगें। ved ke bare mein, dhm sanskar, sanatan dharm ke anusar


  मंत्र के इस अंश की यह प्रार्थना हमें दो बातें कर्तव्य कर्म के रूप में अपनाने के लिए याद दिला रही हैं। पहली बात में कहा गया, हमारे घरों में वीर पुत्र उत्पन्न  होवें। दूसरी बात में हमें स्वास्थ्य के लिए सावधान किया गया है।


वीर पुत्रों को उत्पन्न करने के लिए पहले तो माता-पिता को ही सदाचार के नियमों में दृढ़ता पूर्वक बंधना पड़ता है। फिर उन पुत्रों के उत्पन्न होने के पश्चात उनके लालन-पालन की व्यवस्था में वीरत्व के उपदेश भरे हों। उनका खानपान पूर्ण शाकाहारी और पोष्टिक हो। उनकी विद्या और संस्कार क्षत्रियत्व  युक्त हो। तब ऐसे पुत्र माता पिता को अत्यंत आदर और सुख देने वाले होंगे। तब जीवन आनंदमयी होगा।



     अब रही बात माता-पिता के कम से कम 100 वर्ष जीने की। अपनी आयु बढ़ाने के उपाय मनुष्य के अपने हाथ में हैं। लाखों व्यक्तियों में कोई दो चार ही ऐसे हो सकते हैं जिनके पूर्व घटिया कर्मों से उनकी आयु कम रहती है, सीमित रहती है। अन्यथा विभिन्न विधियों को अपनाकर मनुष्य अपनी आयु स्वयं बढ़ा सकता है और वे विधियां न अपना कर अपनी आयु बढ़ा भी नहीं सकता है।


     आयु बढ़ाने की मोटी मोटी विधियों में रात को शीघ्र सोना और प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठना।शौच, स्नानादि नित्य कर्म के पश्चात परमात्मा का ध्यान करना।आसन प्राणायाम सैर इत्यादि करना। ऋतु अनुकूल पौष्टिक भोजन लेना। 

पत्नी के ऋतुगामी होने पर मात्र संतान उत्पत्ति के संपर्क के अतिरिक्त अधिकतर ब्रह्मचर्य का ही पालन करना sanatan dharm ke anusar,



परिश्रम पूर्वक घर की आर्थिक हालत ठीक रखना ताकि पैसे की कमी की चिंता शरीर में घुण न बन जाए। अपने जीवन में ऐसे कार्य करना जिससे आपके आसपास के सभी लोग आपके साथ आदर और प्रेम का व्यवहार करें। इस प्रकार की बातों से मनुष्य की आयु शर्तिया बढ़ती है। हम आज अपनी आंखों के सामने देख रहे हैं स्वामी रामदेव जी के योग प्राणायाम पैकेज को अपनाकर अनेक नर-नारी शरीर से स्वस्थ और मजबूत हो गए हैं। इस प्रकार उन्होंने प्रयत्न करके अपनी आयु को बढ़ा लिया है।


       तो इस तरह वेद मंत्र का संदेश है कि हम वीर पुत्रों के साथ 100 वर्ष तक आनंद भोगें। इस प्रकार बहुत से वेद मंत्रों की प्रार्थनाएं मनुष्य को उनके भिन्न भिन्न प्रकार के कर्तव्य कर्मों की याद दिलाने के लिए ईश्वर ने बनाई हैं। खाली प्रार्थना करने से आवश्यक लाभ नहीं मिलता। प्रार्थना कर्तव्य कर्म की तरफ ध्यान दिलाती हैं उसी कर्म के करने से लाभ मिलता है।

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