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विज्ञान भैरव तंत्र साधना धारणा विधि १०९, माता पार्वती भगवान शिव से 8 प्रश्न पूछती है-- (३२)

 विज्ञान भैरव तंत्र साधना धारणा विधि १०९, माता पार्वती पूर्व  अभ्यस्त अनेक शास्त्रों  के आधार पर  भगवान शिव से  निवेदन करती है कि  


आप मुझे परम तत्व के वास्तविक स्वरुप के ज्ञान के साथ उसे प्राप्त करने की संपूर्ण विधियों का ज्ञान दीजिए। उस परम तत्व तक कैसे पहुंचा जा सकता है ?इसी  जिज्ञासा को उजागर करती हुई माता पार्वती भगवान शिव से 8 प्रश्न पूछती है-- 


विज्ञान-भैरव-तंत्र-साधना-धारणा-विधि-१०९


 पहला प्रश्न- 

इस भयानक आकृति वाले संसार की रचना करने में समर्थ भैरव का क्या अकार से लेकर क्षकार पर्यंत शब्द राशि की कलाएं ,अनुत्तर ,आनंद इच्छा ,प्रवृत्ति ,विमर्श  शक्तियां  ही उसका वास्तविक स्वरुप है क्योंकि  वाच्य और वाचक स्वरूप से जगत के सारे विस्तार को इसी ने समेट रखा है। इस प्रश्न का सीधा सा अर्थ यह है कि क्या यह बौद्ध  भैरव शब्द ब्रह्म स्वरूप है?



दूसरा प्रश्न--  

माता पार्वती  पूछती है अथवा प्रकृति से लेकर परम तत्व पर्यंत तत्वों के परामर्श से प्रत्यभिज्ञात तथा षडध्व में परिगणित नवात्म मंत्र राज उसका स्वरूप है ?  इसका अर्थ यह  किया जा सकता है कि क्या भयानक स्वरुप वाले  भेरव की नौ शक्तियों के रूप में जिन्हें हम नवदुर्गा के नाम से जानते हैं। यह परम तत्व अवस्थित है?

तीसरा प्रश्न--   

देवी कहती है या उस भैरव की शक्ति नरशक्ति के रूप में इच्छा ,ज्ञान, क्रिया शक्ति के रूप में तीन तत्वों की शक्ति को अपने में समेटे हुए विशिष्ट मंत्र के रूप में विद्यमान है?


चौथा प्रश्न-- 

अथवा  नर शक्ति शिवात्मक तीन तत्वों की अधिष्ठात्री अपरा ,परा -परा और अपरा नामक तीन शक्तियों वाला यह भैरव तत्व है?

पांचवां प्रश्न--  

देवी कहती है अथवा समस्त मंत्र समूह में सामान्यतः मंत्र शक्ति के रूप में जो अवस्थित है ।वह विश्व के सभी वाच्यों में अभिन्न रुप से विद्यमान प्रकाश स्वरूप बिंदु और समस्त वाचकों  में अभिन्न रूप से  विद्यमान नाद उसका स्वरूप है?


छटा प्रश्न--  

अथवा इस बिंदु और नाद के ही प्रपंच रूप अर्धचंद्र ,निरोधिका आदि उसके स्वरूप हैं?



 सातवां प्रश्न--  

देवी  पूछती है कि क्या वह मूलाधार आदि स्थानों में षड्दल आदि स्वरूप वाले चक्रों में आरूढ है अर्थात उन चक्रों में लिपि संकेतों के रूप में विद्यमान कोई तत्व है?



अंतिम आठवां प्रश्न 

देवी पूछती है कि क्या यह उस सुस्पष्ट शक्ति के रूप में विद्यमान है जो कि समस्त कुटिलताओं को छोड़कर अवस्थित है ?इन सब विकल्पों में से भैरव का वास्तविक स्वरूप क्या है ?हे देव उसे मुझे आप बताइए-


साधक के दो शब्द-- 

जिस प्रकार गीता में अर्जुन ने भगवान वासुदेव श्री कृष्ण से आम इंसान के रुप में हर वह प्रश्न पूछा जो एक साधारण व्यक्ति पूछ सकता है बल्कि उससे भी कहीं अधिक प्रश्न अर्जुन ने पूछे ।वही कार्य विज्ञान भैरव तंत्र में मां पार्वती ने किया है । इन 8 प्रश्नों में अध्यात्म जगत के संपूर्ण रहस्यों को समेट लिया है ।इन प्रश्नों को पढ़ते हुए कुछ शब्द हो सकता है ,आपको समझ न आयें  किंतु जब धारणाओं की व्याख्या की जाएगी तब प्रत्येक शब्द एवं प्रश्न का रहस्य समझ में आता चला जाएगा क्योंकि जो शब्द प्रयोग में लिए गए हैं, उनका अत्यंत गहन अर्थ है ,इसलिए उनको यहां पर समझाया नहीं जा सकता। धारणाओं में उन शब्दों की बेहतर तरीके से व्याख्या की जा सकेगी।
































                              

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