कायरता एक धब्बा? हिजड़े के भाती जीवन यापन ना करो।
एक धन से संपन्न परिवार को अपना घर बाग छोड़ कर पलायन करना पड़ जाता है। दूसरी ओर यह स्तिथि भी आती है की यदि कोई शारीरिक बल से सम्पन्न है वह भी घर बाग छोड़ कर भाग जाता है।
आज भारत मै अक्सर यह स्तिथि देखने को मिल जाता है। कारण क्या है? अपने अधिकार के लिए भी लड़ना भूल गए। इतने नीचे गिर चुके है लोग स्वार्थ और लालच मै अंधे हो चुके है। शास्त्रों मै एसे लोगो की बहुत कड़ी निन्दा करी गई है। जो अपने क्षेत्र आधारित कर्मो से पीछे भाग जाते है।
शास्त्र वचनों पर ध्यान दिया जाए तो ये हमे कायर नहीं बनाते है बल्कि अपने आधिकार के लिए क्षेत्र मै कार्यरत रहने को कहते है। यदि इस मै मृत्यु भी आ जाए तो परम गति मिलती है।
क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते। भ० गी ० २/३
हे भारत वासी आर्यों, तुम कायर और नपुंसक मत बनो। अपने आधिकार के लिए लड़ो। जिस क्षेत्र मै खड़े हो वहीं तुम्हारा धर्म है। अपने स्व धर्म का पालन करो। जैसे देव असुर के झगड़े मै असुर देव स्थान पर कब्जा जमा लेते थे। तब विष्णु उन्हे ललकारते थे। हे असुरों मुझे मेरे हिस्से का आधिकार दो या मुझ से युद्ध करो।
रक्षेत्युक्तश्च यो हिंस्यात्
महा० उद्यो प ० ३५/४८
आर्थिक और शारीरिक शक्तिमान होते हुए, जिनके भूजावो मै बल है। जो शरीर से हस्ठ पुष्ठ है। समाज मै हो रही आत्यचार कुरीतियां आदि रोकने के बजाय वे कह रहे की मेरी रक्षा करो इस प्रकार कहने वाले लोग कायर और नपुंसक है। ये लोग ब्रह्म हत्यारे के समान है। महा पापी और दुष्ट है।
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