वेदों की उत्पत्ति वेद का ज्ञान Vedo ki Utpati
अग्निवायुरविभ्यस्तु त्रयं ब्रह्म सनातनम् । दुदोह यज्ञसिद्ध्यर्थं ऋग्यजुःसामलक्षणम् मनुस्मृति 1/23
ब्रह्मा ने यज्ञ सिद्धि के लिए ऋक , यजु और साम इन सनातन वेदों को अग्नि , पवन और सूर्य से प्रकट किया। शतपथ ब्राह्मण में बताया गया है कि अग्नि पवन और सूर्य क्या हैं। इन तीन को स्वामी दयानंद ने चार ऋषि बना दिया है जब कि ये तीन जड़ पदार्थ है इन जड़ पदार्थो के द्वारा ब्रह्मा ने वेदों का प्रकाश किया। अब शतपथ ब्राह्मण के वचनों को जरा पढ़ ले तो बात स्पष्ट हो जायेगी की ये चार ऋषि है या तीन जड़ पदार्थ हैं जैसे गाय के थन को हम दबाते हैं तो दूध निकलता है जब वेदों को ब्रह्मा जी ने दुहा तो वेद प्रकट हुए ये चेतन चार ऋषि कभी नहीं हो सकते हैं।
शतपथ ब्राह्मण में लिखा है प्रजापति ने तप किया फिर पृथ्वी अंतरिक्ष और द्यौ तीन लोक उत्पन्न हुये। फिर इन तीन लोको को तपाया। तीन लोकों से अग्नि, पवन सूर्य ये तीन ज्योतियाँ उत्पन्न हुई । फिर उस प्रजापति ने इन तीन ज्योतियों को तपाया बाद में इन तीन ज्योतियों से तीन वेद उत्पन्न हुए ,अग्नि से ऋग्वेद ,वायु से यजुर्वेद , सूर्य से सामवेद।
जब स्पष्ट अक्षरों में लिखा है कि ये ज्योतियाँ थीं इनको तपाया गया तो चार ऋषि कहा से उछल पड़े। क्या उन ऋषियों को तपाया गया था। अब सब विचार करे कि अग्नि वायु सूर्य तीनो ही ज्योतियाँ तत्व हैं या स्वामी दयानंद ने पूरी लाइन में तीन ज्योतियों को छोड़ कर अगली लाइन को लिख दिया है। जिससे आर्य समाजी समझते हैं कि अग्नि वायु सूर्य तीन तत्व नहीं हैं ज्योतियाँ नहीं हैं बल्कि ऋषि हैं। पर सत्य यह है प्रजापति ब्रह्मा ने ही वेदों को दुह कर प्रकट किया है ।
इतिहास में पुराणों में इन चार ऋषियों का अता पता नहीं है।
वेदों की उत्पत्ति वेद का ज्ञान Vedo ki Utpati
स इमानि त्रीणि ज्योति। यह तीन ज्योतियाँ है । ब्रह्मा ने इन तीन ज्योतियों को तपाया था तब वेद प्रकट हुए थे ।
अग्नेर्ऋग्वेदों वायोर्यजुर्वेद: सुर्य्यात् समावेद: |शत. ११/५/८/३
पहेली लाइन में अग्नि ,वायु, रवि ज्योतियाँ हैं ।
लेकिन स्वामी दयानंद ने दूसरी लाइन में उनको चार ऋषि बना दिया है। सत्य यह है चारो वेद ब्रह्मा ने उत्पन्न किये हैं और जब ब्रह्मा का चित्र देखते हैं तो उनके हाथों में चार वेद होते हैं।
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