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Tilak lagane ke fayde- माथे पर तिलक लगाना शुभ माना जाता है - राशि के अनुसार तिलक लगाने की विधि

Tilak lagane ke fayde - Tilak lagane ka tarika हिंदू धर्म में माथे पर तिलक लगाना शुभ माना जाता है। रोजाना तिलक लगाने से दिन अच्छा और हर काम सफल होते है। हिन्दु धर्म में तिलक लगाने के कई फायदे बताए गए हैं।



नाभि पर हल्दी का तिलक लगाने के फायदे
तिलक कितने प्रकार के होते है
कौन सा तिलक लगाना चाहिए
तिलक लगाने की विधि
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माथे पर हल्दी का तिलक लगाने के फायदे
ब्राह्मण तिलक

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Tilak lagane ke fayde, राशि के अनुसार ब्राह्मण तिलक,


राशि के अनुसार तिलक लगाने से हर काम में तरक्की मिलती है। साथ ही ग्रहों के बुरे प्रभाव का भी असर कम होता है। चलिए आपको बताते है कि किस राशि वालों को किस रंग का या कैसा तिलक लगाना चाहिए-


Lal Chandan Ka Tilak लाल चन्दन का तिलक लगाने के फायदे.

मेष- इस राशि के लोगों को लाल चंदन या कुमकुम का तिलक लगाना अच्छा होता है। मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह है और इसका संबंध लाल रंग से है। इस रंग के तिलक लगाने से हर काम में सफलता मिलती है।


Safed chandan ka tilak.
वृषभ- वृषभ राशि वालों को सफेद चंदन का तिलक माथे पर लगाना चाहिए। इस राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है। शुक्र का संबंध सफेद रंग से होता है।


Ashtgandh ka tilak.
मिथुन- मिथुन राशि वालों को अष्टगंध का तिलक लगाना शुभ माना गया है। इस राशि का स्वामी ग्रह बुध होता है।


Tilak lagane ke fayde.
कर्क- कर्क राशि वालों पर चंद्र ग्रह की विशेष दृष्टि रहती है। चंद्र ग्रह का संबंध सफेद रंग से है. ऐसे में इस राशि वालों को सफेद चंदन का तिलक लगाना चाहिए।


Tilak lagane ka tarika.
सिंह- सिंह राशि वालों को लाल रंग का तिलक लगाना शुभ होता है। इस राशि में सूर्य मजबूत होता है।


Tilak lagane ke fayde.
कन्या- इस राशि वालों को रक्त चंदन का तिलक लगाना चाहिए। कन्या राशि वालों को रक्त चंदन का तिलक लगाने से आर्थिक समृद्धि होती है।


Lal sindur ka tilak.

वृश्चिक- इस राशि वालों को लाल सिंदूर का तिलक लगाना शुभ माना गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि वृश्चिक राशि का स्वामी ग्रह मंगल है.।


Pila chandan ya haldi ka tilak.


धनु- धनु राशि का स्वामी ग्रह बृहस्पति है, इसलिए इस राशि के लोगों को पीला चंदन या हल्दी का तिलक लगाना चाहिए।


Rakh bhasham ka tilak.

मकर- मकर राशि के लोगों को भस्म या काले रंग का तिलक लगाना शुभ माना गया है। मकर राशि का स्वामी ग्रह शनि है।

कुंभ- कुंभ राशि वालों को हवन की राख यानि भस्म का तिलक लगाना शुभ होता है। इस राशि का स्वामी ग्रह शनि है।

मीन- मीन राशि वालों को रोजाना पीले रंग का तिलक लगाना चाहिए। इस राशि का स्वामी ग्रह बृहस्पति है। बृहस्पति देव को पीला रंग प्रिय है।



तिलक लगाने के पीछे का कारण विधि और इतिहास, और नव वर्ष संवत्सर का व्रत कथा माहात्म्य और विधान, Tilak Lagane ke fayde, Tilak lagane ka Rahashya kya hai? 


भगवान कृष्ण और युधिष्ठिर के बीच का संवाद.


एतत्रिलोकतिलकालकभूषणं ते ख्यातं व्रतं सकलदुःखहरं परं च । 
इत्थं समाचरति यः स सुखं विहृत्य मर्त्यः प्रयाति पदमापदि पद्मयोनेः ॥

युधिष्ठिर बोले, 

मधुसूदन ब्रह्मा शिव और केशवादि देव तथा गौरी गणपति दुर्गा सूर्य अग्नि एवं चन्द्र आदि के व्रतों को बताने की कृपा करें, 


भगवान बोले। 

स्त्री पुरुष सभी प्राणियों को चाहिए कि नदी सरोवर अथवा घर में कूप जल से नियम पूर्वक स्नान करके पितर एवं देवों के तर्पण आदि कर्म के उपरान्त उसी स्थान पर पीठी द्वारा पुरुष के समान वत्सर वर्ष की प्रतिमा बनायें और चन्दन चूर्ण पुष्प धूप दीप एवं नैवेद्य पूर्वक उसकी पूजा करके मास और ऋतु के नाम में नमस्कार पदए अर्थात माथे के बीच मैं तिलक लगाए।



तिलक लगाने का इतिहास Tilak Lagane ke fayde, Tilak lagane ka Rahashya kya hai? 


शत्रुञ्जय नामक एक राजा था जो रणस्थल में सदैव विजयी रहता था चित्रलेखा नामक उसकी पत्नी थी जिसका चरित्र भूषण की भाँति आदर्श था, उसने चैत्र मास में किसी विद्वान् ब्राह्मण को सादर बुलवाकर उनके सम्मुख इस व्रत नियम को सविधान सुसम्पन्न किया, उसने संवत्सर की अर्चना करते समय भगवान् जनार्दन को ध्यान द्वारा अपने हृदय में धारण किया था जिसके फलस्वरूप जो कोई प्राणी निन्दा के व्याज से उसके सम्मुख उपस्थित होता था वह वहाँ पहुँचते ही अत्यन्त प्रिय एवं हितैषी होकर उसके मुख दर्शन करते ही अपना नीचे मुख कर लेता था। उसने अपनी सपलियों के गर्वको चूर्ण कर इस पृथ्वी मण्डल को अपने अधीन कर लिया था और उसके समान उसके पति को कोई स्त्री प्रिय नहीं थी, इस प्रकार वह सदैव हर्षित रहकर अत्यन्त सुखी जीवन व्यतीत कर रही थी, 



Tilak Lagane ke fayde, Tilak lagane ka Rahashya kya hai? 

उसी बीच कर द्वारा तिरस्कृत होने पर उसके पति पुत्र शिर की वेदना से अत्यन्त पीडित हुए और कुछ समय के अनन्तर उनका निधन हो गया वे दोनों सहृदय सुहृदगण को भी अपमानित करते थे, उन्हें धर्मराज की पुरी ले जाने के लिए उनके दूत गण राजमहल के द्वार पर आकर खड़े हुए क्योंकि काल मृत्यु होने पर शत्रुञ्जय को वहाँ ले जाना परमावश्यक था, किन्तु अपने पार्श्वभाग में स्थित उस चित्रलेखा को महाराज धर्म राज के दूतों ने देखा उसका मुख मण्डल तिलक द्वारा अत्यन्त सौन्दर्य पूर्ण दिखायी देता था, पश्चात् उनका संकल्प नष्ट हो गया जिसके लिए वे वहाँ आये थे और लौटकर अपने लोक चले गये, भारत उन दूतों के चले जाने पर पुत्र समेत वह राजा जीवित होकर आरोग्य रहते हुए अनेक भाँति के भोगों का उपभोग किया जो जन्मान्तरीय कर्मों द्वारा अर्जित होकर संचित थे, 


Tilak lagane ka pauranik itihash.

युधिष्ठिर महाभाग इस अनुपम और महोदय व्रत का वर्णन मुझसे शङ्कर ने पहले ही किया था, इस प्रकार मैंने इस तिलक व्रत को तुम्हें बता दिया जो तीनों लोकों के भूषण समस्त दुःखों के अपहर्ता और सर्वश्रेष्ठ हैं, इसके सविधान सुसम्पन्न करने वाला प्राणी इस मर्त्यलोक की सभी कठिनाईयों को सरलता से पार कर सब भाँति के सुखी जीवन व्यतीत करने के उपरांत ब्रह्म पद की प्राप्ति करता है, इति


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