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नव वर्ष का आगमन वसंत ऋतु - वसंत ऋतु आने पर प्रकृति में परिवर्तन - भारतीय साहित्य मै वसंत की प्रशंसा

नव वर्ष का आगमन वसंत ऋतु। शास्त्र अनुसार वसंत ऋतु का महत्व, वसंत ऋतु आने पर प्रकृति में क्या परिवर्तन दिखाई देते हैं,


सम्पूर्ण दुनिया में मुख्य रूप से तीन मौसम माने गए हैं-शीत, ग्रीष्य और वर्षा। यह ऋतु ज्ञान भारत से पूरी दुनिया ने अपनाया है, भारतीय साहित्य ज्ञान आदर्श बहुत उच्च है। भारत एक अनूठा देश है। दुनिया को अपने अध्यात्म, ज्ञान और विज्ञान से समृद्ध करने वाला यह देश विश्वगुरु रहा है और एक बार फिर से उस दिशा में अग्रसर हो रहा है। यहां के मनीषियों ने मौसम के मिजाज का सूक्ष्म निरीक्षण और अवलोकन किया है।


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छह ऋतुएं निर्धारित की थीं-

वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर, हेमंत । माघ महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतु का आगमन होता है, इसीलिए इस तिथि को वसंत पंचमी भी कहा जाता है। वैसे वसंत ऋतु के मास फाल्गुन और चैत्र मास माने गए हैं। फाल्गुन हिन्दू पंचांग का अंतिम महीना है और चैत्र पहला। तो इस लिहाज से हिन्दू पंचांग के वर्ष का अंत और प्रारंभ वसंत ऋतु में ही होता है। इसी से पता चलता है कि भारतीय संस्कृति में वसंत का महत्व क्या है। इसीलिए इसे ऋतुराज कहा गया है। 

प्रकृति के रंग, वसंत ऋतु आने पर प्रकृति में परिवर्तन 

इस ऋतु में पेड़-पौधे नव पल्लवों से परिपूर्ण हो जाते हैं। आसमान बिल्कुल साफ और नीला हो जाता है और प्रकृति में और भी कई परिवर्तन होते हैं।


आशावादी दृष्टिकोण, मानव जीवन पर प्रभाव 

वसंत जीवन में आशावादिता और सकारात्मकता का संदेश देता है कि अंत के बाद आरंभ होता है। दुख को भूल कर जीवन का आनंद लो। यह भी एक सुखद संयोग ही है कि वसंत के आगमन के समय देश में कोविड-19 के मामले काफी कम हो गए हैं, संभव हो की इस ऋतु मै कोविड का रहा सहा असर भी बिल्कुल समाप्त हो, और देसी शिशिर ऋतु का भीषण शीत जहां जीवन को शिथिल कर देता है, वहीं वसंत उस में उष्माकासंचारकरगति भरता है। श्रावण में छाई हरियाली शरद के बाद हेमन्त और शिशिर ऋतु में वृद्धा की तरह हो जाती है, तबवसंत उसका सौंदर्य लौटा देता है। वसंत ऋतु जीवन में खुशियां और राहत लेकर आती है। कहते हैं कि मनुष्य के शरीर पर वसंत का बहुत सकारात्मक असर पड़ता है। शरीर में रक्त का निर्माण ज्यादा होता है और मन भी प्रफुल्लित हो उठता है। 


इस ऋतु के आगमन परठंड कमहोजाती है। मौसम सुहाना हो जाता है। न ज्यादा सर्दी होती है और न ज्यादा गर्मी। तापमान सुखद रहता है। इस ऋतु में प्रकृति अपना श्रृंगार कर लेती है। हर तरफ हरियाली छा जाती है और प्रकृति में रंग भर जाते हैं। आम बौरों से लद जाते हैं और खेत सरसों के फूलों से भर जाते हैं। ऐसा लगता है, मानो पीला समुद्र ठाठे मार रहा है। हर तरफ सकारात्मक परिवर्तनको स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।


राग-रंग और उत्सव


वसंत ऋतु राग-रंग और उत्सव की ऋतु है। भारत में अमूमन यह फरवरी मध्य से अप्रैल मध्य तक होती है। भारत में कई प्रमुख त्योहार वसंत में मनाए जाते हैं। होली वसन्त ऋतु में ही मनाई जाती है। इसके अलावा वसंत पंचमी (सरस्वती पूजा), महाशिवरात्रि, रामनवमी, बिहू, बैशाखी, गुड़ी पड़वा, उगादि जैसे नववर्ष के त्योहार भी वसंत के दौरानही आते हैं। विक्रम संवत् का आरंभ भी वसंत ऋतु में ही होता है।


भारतीय साहित्य मै वसंत की प्रशंसा।


ओम् वसन्त इन्नु रन्त्यो ग्रीष्म  इन्नु रन्त्य: ।

वर्षाण्यनु शरदो हेमन्त शिशिर इन्नु रन्त्य: ।।

सामवेद ६/३/४/२


सुन्दर है ! बहुत सुंदर है! जीवन की हर ऋतु सुन्दर है। सुन्दरतम सबसे है वसंत , पृथ्वी खिल उठती है अनंत, ग्रीष्म ऋतू, जीवों में नई शक्ति संचार करती है ! फिर वर्षा की आती फुहार, खुशबू से भर जाती बयार, फिर शरद ऋतु आती न्यारी, खिल उठती है बगिया प्यारी ! ईश्वर की कृपा बरसती है , ऐसे प्रकृति सरस्वती है आते हैं फिर हेमंत शिशिर , वसुधा पर है खुशहाली चिर !  


भगवान श्रीकृष्ण का वचन है,

वेदानां सामवेदोऽस्मि १०/२२

 मैं ऋतुओं में वसंत हूं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, वसंत को कामदेव का पुत्र कहा गया है। प्रेम, काम और सौंदर्य के देवता कामदेव और उनकी पत्नी रति के पुत्र के जन्म का संदेश पाते ही प्रकृति झूम उठती है। वृक्ष उनके पुत्र वसंत के लिए नए पल्लवों का पालना डाल देते हैं। कामदेवकाबाण फूलों से निर्मित होता है, तो फूल वसंत को वस्त्र पहनाते हैं। वायु झूला झुलाती है और कोयल गीत सुनाकर बहलाती है। इस मौसम में प्रकृति मनोहर हो जाती है, तो मानव मन औरतन भी खिल उठते हैं। शीत ऋतु में मोटे-मोटे कपड़े पहन आजिज आ चुके मनुष्य को वसंत ऋतु हल्के कपड़े पहनने का अवसर प्रदान करती है। वसंत उमंग और उत्साह की ऋतु है। इस ऋतु में प्रकृति में,


मनुष्यों में, जीव-जंतुओं में स्पष्ट रूप से परिवर्तन और गतिशीलता देखने को मिलती है। पछुआ हवा जब शरीर को स्पर्श करती है, मन एक सुखद एहसास से पुलकित हो उठता है। आसमान में पक्षी किलकारियां मारकर वसंत का स्वागत करते हैं।



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